किताबें कुछ कहना चाहती हैं – सफ़दर हाश्मी किताबें करती हैं बातें बीते ज़मानों की दुनिया की , इंसानों की आज की , कल की एक-एक पल की ख़ुशियों की , ग़मों की फूलों की , बमों की जीत की , हार की प्यार की , मार की क्या तुम नहीं सुनोगे इन किताबों की बातें ? किताबें कुछ कहना चाहती हैं। तुम्हारे पास रहना चाहती हैं॥ किताबों में चिड़िया चहचहाती हैं किताबों में खेतियाँ लहलहाती हैं किताबों में झरने गुनगुनाते हैं परियों के किस्से सुनाते हैं किताबों में राकेट का राज़ है किताबों में साइंस की आवाज़ है किताबों में कितना बड़ा संसार है किताबों में ज्ञान की भरमार है क्या तुम इस संसार में नहीं जाना चाहोगे ? किताबें कुछ कहना चाहती हैं। तुम्हारे पास रहना चाहती हैं॥ ∼ सफ़दर हाश्मी
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